FTA: मुक्त व्यापार समझौतों पर भारत दिखा रहा सतर्कता, नए दिशानिर्देशों पर बन रही रणनीति
FTA: मुक्त व्यापार समझौतों पर भारत दिखा रहा सतर्कता, नए दिशानिर्देशों पर बन रही रणनीति
यह भी माना जा रहा है कि भविष्य की वार्ता के लिए संस्थागत मेमरी तैयार करना भी महत्त्वपूर्ण है और इसे नए एसओपी का हिस्सा बनाया जाएगा।
By श्रेया नंदीश्रेया नंदी
Last Updated- October 20, 2024 | 11:10 PM IST
भारत मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर बातचीत में जल्दबाजी नहीं दिखा रहा है और उसने इससे संबंधित दिशानिर्देशों का ‘सावधानीपूर्वक’ मूल्यांकन करना चाहता है। यही वजह है कि भारत एफटीए बातचीत में नए सिरे से रणनीति बना रहा है ताकि ऐसे समझौतों से व्यापार और निवेश का अधिकतम लाभ मिल सके। घटनाक्रम से अवगत दो लोगों ने इसकी जानकारी दी।
एक शख्स ने कहा कि वाणिज्य विभाग एफटीए पर बातचीत के लिए नए दिशानिर्देशों को लागू करने के वास्ते केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी लेने की योजना बना रहा है। समझा जाता है कि एफटीए के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) पर चर्चा हेतु सप्ताहांत में वाणिज्य विभाग के शीर्ष अधिकारियों और प्रधानमंत्री कार्यालय के बीच उच्च स्तरीय बैठक हुई है।
एफटीए के लिए एसओपी बनाने का विचार केवल पिछले एफटीए के अनुभवों को देखते हुए ही नहीं आया है बल्कि स्थायित्व के बढ़ते महत्त्व और सरकारी खरीद, श्रम तथा डिजिटल व्यापार जैसे आधुनिक व्यापारिक सौदे में समस्या की वजह से भी ऐसा करना जरूरी हो गया है।
यह भी माना जा रहा है कि भविष्य की वार्ता के लिए संस्थागत मेमरी तैयार करना भी महत्त्वपूर्ण है और इसे नए एसओपी का हिस्सा बनाया जाएगा।
मामले के जानकार शख्स ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हमारी एफटीए वार्ता की रणनीति का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करने की जरूरत है। किसी विशिष्ट देश के साथ एफटीए से भारत को क्या फायदा होगा यह जानने के लिए गहन अध्ययन की जरूरत है।
एफटीए के पिछले अनुभव और हाल में किए गए ऐसे करारों से भारत को व्यापक लाभ नहीं हुआ है और देखा गया है कि इससे भागीदार देशों को बड़ा फायदा हुआ है।’
उक्त शख्स ने कहा कि भारत को चीन से बढ़ते आयात को लेकर भी सतर्क रहने की जरूरत है और यह भी देखना चाहिए कि भारत द्वारा किए गए एफटीए का इस्तेमाल कहीं भारत में माल खपाने के लिए तो नहीं किया जा रहा है।
ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और मालदीव जैसे रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण और बड़े देशों के साथ प्रस्तावित एफटीए को छोड़कर भारत फिलहाल पेरू और ओमान जैसे अन्य देशों के साथ एफटीए वार्ता में बहुत तेजी नहीं दिखा रहा है। एफटीए पर नया दिशानिर्देश बनने के बाद भारत इनके साथ बातचीत में तेजी लाएगा। भारत ने वर्ष 2022 से संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय मुक्त व्यापार संगठन (ईएफटीए) के साथ तीन प्रमुख व्यापार करार पर हस्ताक्षर किए हैं।
इसके साथ ही पेरू, ओमान, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ जैसे देशों के साथ भी एफटीए पर बातचीत चल रही है। करीब 3 साल से भारत कनाडा, इजरायल और खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के साथ भी चर्चा कर रहा था मगर साझे आधार के अभाव या राजनीतिक मुद्दों के कारण वार्ता शुरू नहीं हो पाई।
2019 में चीन समर्थित एशियाई व्यापार ब्लॉक क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसेप) से बाहर निकलने के बाद व्यापार करार पर हस्ताक्षर करने की होड़ मच गई। यह धारणा पैदा हुई कि दुनिया द्विपक्षीय या क्षेत्रीय व्यवस्था में चली गई है और भारत को शेष विश्व के साथ जुड़ने की जरूरत है।
First Published - October 20, 2024 | 10:14 PM IST